लौट कर
एक ही समय में होना
स्पर्श में ,स्मृति में ,बारिश में बादलों की तरह बरसना नादियों की तरह बहना,समुद्र में मिलना
प्रेम, जल,आग और रोशनी के दृश्य में
रोशनी की तरह दौड़ना बार बार --और दौड़ जाना
फलांगते हुए सात समुद्र
उस उदासी की मौजुदगी मे जो
उम्र और रिश्तों के हिसाब में
अभिसार की रातों में
रूमानी सपनो में बसी थी ,
देह की अपरिचित भाषा में
बूढ़े पहाड़ों पर बजती गिटार की धुन में
पत्तों की खड़ खड में
रात के स्तब्ध सन्नाटे में ,होते हुए भी ,में थी
अपने ही आत्मघाती प्रेम में गलती -सुलगती
किसी प्रत्याशा में तमुलनाद सी
जहाँ नही थी, वहाँ मेरा सुख था
खुद को टोहता, अपने प्रेम में संक्षिप्त और सूचनात्मक
सावधान आगे अंधा मोड़ है
और प्रेम जो अभी बाकि था/ है/रह
स्पर्श में ,स्मृति में ,बारिश में बादलों की तरह बरसना नादियों की तरह बहना,समुद्र में मिलना
प्रेम, जल,आग और रोशनी के दृश्य में
रोशनी की तरह दौड़ना बार बार --और दौड़ जाना
फलांगते हुए सात समुद्र
उस उदासी की मौजुदगी मे जो
उम्र और रिश्तों के हिसाब में
अभिसार की रातों में
रूमानी सपनो में बसी थी ,
देह की अपरिचित भाषा में
बूढ़े पहाड़ों पर बजती गिटार की धुन में
पत्तों की खड़ खड में
रात के स्तब्ध सन्नाटे में ,होते हुए भी ,में थी
अपने ही आत्मघाती प्रेम में गलती -सुलगती
किसी प्रत्याशा में तमुलनाद सी
जहाँ नही थी, वहाँ मेरा सुख था
खुद को टोहता, अपने प्रेम में संक्षिप्त और सूचनात्मक
सावधान आगे अंधा मोड़ है
और प्रेम जो अभी बाकि था/ है/रह
(पंछी लौटते हैं ,अपनी डायरी से 2010, 17 मई )
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर ...
बड़े दिनों के बाद आना हुआ, उम्दा पोस्ट, शुभकामनाएं।
जानिए क्या है बस्तर का सल्फ़ी लंदा
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