शुक्रवार, 13 मार्च 2015

उसका एक अव्यक्त दुःख , एक आर्तनाद रोजाना मुझे सुनाई देता है --मुझे रूकना पड़ता है उसके पास,सांत्वना देती हूँ - कहती हूँ कब तक ठूँठ रहोगे एक दिन यहीं से कोंपले फूटेंगी तब तुम चारों तरफ से लहराती शाखाओं वाले सुन्दर वृक्ष बन जाओगे --तब देखना किसी को भी याद ना रहेगा की तुम कभी इतने निरीह रहे होगे



  1. हमारी कालोनी के पार्क में  एक पलाश के पेड़  ने ,आज फिर दिल दुखाया पार्क के एक सिरे से, थोड़े पहले ये  टेसू का पेड़ अपने  सहोदरों से बिछड़ा महसूस होता है मेरे ख्याल से --न्यू भोपाल की बस्ती बनने के क्रम  में छोटे जंगलों को काटा छांटा  गया होगा --कुछ पेड़ काटे गए होंगे --कुछ को जड़ से उखाड़ा गया होगा, पता नहीं ये किस  कर्मचारी की दयालुता की वजह से बच गया  या अपनी  कमसिन फूलों की खिली हुई  डालियों की वजह से, ये तो पता नहीं ,किन्तु ये पार्क की हद में है लेकिन इसका आधा तना सड़क के बहार तक फैला  हुआ है जो बाउंड्री वाल के सहारे बहार की ओर सड़क तक अपनी शाखाओं के साथ फूलों से लदे - फदे  होने के बावजूद ,उदास नजर आता है 
  2. इसके  ढेरों पत्तों और उनकी उपयोगिता को भी आज भुला दिया गया है कभी जन्म मरण आयोजनो कथा पाठ तो प्रसाद में इसके बने दोनों पत्तलों के बिना काम ही नहीं चलता था और आज किसी को जरूरत ही नहीं ,मनुष्य ने सभ्य होकर हर चीज का विक्लप ढूंढ लिया है हाँ बस कहावतों में याद रखा है --फिर वही  ढाक के तीन पात ---
  3. --जमीन से थोड़ा  ऊपर ही इसकी  दो विभाजित भुजाओं में से किसी ने एक भुजा को काट दिया है लगता है जैसे कोई हादसा हुआ है --पलाश वहीँ से ठूँठ नजर आता है --विकलांग भी दुःख होता है उसे यूं देख कर , नजदीक जाने पर --लगता है इस हादसे के जिमेदार लोगों की शिकायत करना चाहता है -लेकिन  कोई सुने तब ना -किसे फुरसत क्षण भर रुके उसके पास। -अपनी एक ही भुजा से ऊपर की और जाता हुआ ये टेसू मुझे निरीह युवा पुत्र  की तरह दिखाई पड़ता है ---
  4. उसका एक अव्यक्त दुःख , एक आर्तनाद रोजाना मुझे सुनाई देता है --मुझे रूकना पड़ता है उसके पास,सांत्वना देती हूँ -  कहती हूँ कब तक ठूँठ रहोगे एक दिन यहीं से कोंपले फूटेंगी तब तुम चारों तरफ से लहराती शाखाओं वाले सुन्दर वृक्ष बन जाओगे --तब देखना किसी को भी याद ना रहेगा की तुम कभी इतने निरीह रहे होगे बस खुश् रहा  करो और इन्तजार करो उस दिन का जब लोग ठिठक कर तुम्हारे पास रूकेंगे तुम्हे निहारेंगे तब तुम अपनी डाल  पर खिले सैकड़ों फूलों संग दुलार प्यार में ही व्यस्त होगे 
  5. टेसू  के खुरदुरे तने पर काली चीटियों की कतार ऊपर तक जाती दिखाई पड़ती है जो फूलों के गुच्छों के पास जाकर खो जाती है ---चीटियों की मीठी प्यास बुझाता --खुद टेसू कितना प्यासा है, कौन जनता है --उदासी में भी मुस्कुराता हुआ , इसके ठीक सामने --डा मित्रा का बँगला  है जो आजकल अपनी चमचमाती बड़ी सी  सफेद गाडी  को इसकी शाखाओं के नीचे  खड़ा कर देते हैं --सुबह देखो तो लगता है किसी युवती के सफेद दुपट्टे पर रेशमी  सिंदूरी टेसू फूल कढ़े  हो --यहाँ वहां ये एक अद्भुत नजारा होता है --लेकिन कारवाश वाला बड़ी बेरहमी से उन्हें बुहारता हुआ यहाँ  वहां बिखेर देता है --फूल गिरते हुए टायरों के नीचे  बिखरते -कुचलने को अभिशप्त होते जाते हैं, डा मित्राका  परिवार शायद ही कभी इसको अपनी प्यार दुलार भरी नजरों से देख पाया हो ---काश ये मेरे घर के सामने होता  --इसके दहकते फूलों में कितनी ऊर्जा है इसके रंगों में कितनी प्रियता है वो समझ पाते --जिंदगी में वो सब आपके पास नहीं होता जिसकी आपको दरकार होती है ---देवताओं  के प्यार से अभिशप्त टेसू के फूलों को इन दिनों मंदिर में देवी देवताओं की मूर्ति पर भी अर्पित कर आती हूँ शायद कभीये शाप मुक्त हों और इन्हे भी चौतीस करोड़ देवी देवताओं का पवित्र और असीम दुलार -प्रेम मिल सके अन्य फूलों की तरह और इसके पेड़ को भी वो ही मान्यता मिले जो बरगद और नीम पीपल की है --कोशिष्टो कर ही सकती हूँ 

  6. [व्यक्ति एवं अन्य द्वारा निर्मित ऐसी कई स्थितियों के अलावा भी संसार में बहुत कुछ है जिनके अस्तित्व से  जुड़कर हमारे विचार नवीन ऊर्जा से भर जाते हैं --जैसे वृक्ष नदी पर्वत पहाड़ पशु पक्षी --जो जीवन की गहरी जड़ों तक ले जाते हैं हमारी स्मृतियाँ ताज़ी करते हैं  और सबसे ज्यादा आसानी से याद रखने वाली बात को याद रखने और भूल जाने वाली बात को भूल जाने में सहायक बनते हैं --मेरा अनुभव तो यही है ---]