शनिवार, 7 अगस्त 2010

अब उसके पास कोई आइना नहीं रहता...


उसके हेंडबेग में एक छोटा सा आइना हमेशा रहता था,जब वो सत्रह साल की थी ...ओवल शेप वाला चारों तरफ से रंग बिरंगी एम्ब्रायडरी वाला, गुजराती ढंग का, बेहद खूबसूरत ,जो किसी रिश्तेदार ने उसे भेंट किया था ..उसमे चेहरा देखने पर एक बार में चेहरे का कोई एक हिस्सा ही फोकस होता था ,सिर्फ एक आँख या कान का निचला हिस्सा ,जब-जब वो इयरिंग्स बदलती पर वो ज्यादातर उसका इस्तेमाल अपनी आँखों को देखने में करती और दोनों आँखों में झाँकने के लिए  उसे बारी-बारी से आईने को हाथ के सहारे ढोडी पर लगाकर देखना होता ...और जब जरूरत होती वो निहार लेती ,उसकी आँखे खूबसूरत थी ,सभी कहते थे ..घर-बाहर पास-पड़ोस दोस्त .उन दिनों  उसे ना जाने क्या हो गया था..कि वो अपनी आँखों को बार बार देखा करती बाद में उसका पर्स बदला उम्र भी और आईने का आकार भी फिर थोड़ा और बाद में, थोड़ा सा और बड़ा आइना उसके पर्स में मौजूद रहने लगा जिसमें उसका पूरा चेहरा दिखलाई पड़े ऐसे आईने कि उसे जरूरत भी थी ये बात अलग थी कि आईने कभी चौकोर थे कभी ओवलशेप  में, तो कभी गोल और कभी षटकोणी जिसमे वो अपनी आँखे निहारा करती और जिस कारण वो   इस दुनिया को पूरी तौर पर देख पाने की काबलियत हांसिल कर पाई ... लड़की अब 34 साल की औरत है ,सत्रह साल बाद भी उसकी  आँखे अब भी उतनी ही खूबसूरत है ,अब उसके पास कोई आइना नहीं रहता, वो खुद रंग-बिरंगे सुन्दर डिजाइन वाले आइने गढ़ती है ..शहरी हाटमेलों में उसके आईने खूब बिकते हें..उसका नाम कस्तूरी था...