रविवार, 30 नवंबर 2008

खिलेंगे फूल उस जगह की तू जहाँ शहीद हो ,...वतन की राह ....

ये गीत बचपन मैं बहुत सुना करते थे ,..और उसदिन भी खूब खूब याद आया,जिस दिन नाटकीय ढंग से डूबा सूरज ,और वे हमारे सामने से दूर जाते -जाते ,अंधेरों का हिस्सा बन गए लेकिन अपने दिव्य अन्धकार मैं भी चमकते सितारों की तरह हमारे उजालों की खातिर,...और हम बता सकें आसमान की और इंगित कर,देखो वो कितनी ऊंचाई पर हैं जिनकी स्मृति से मन पवित्र और सुगन्धित रहेगा ,किसने सोचा था,उनकी कर्मठ पवित्रता पे इश्वर भी मुग्ध हो जायेगा,इतना स्वार्थी बन जायेगा ,...अपनों से बिछुड़ अकेलापन स्वीकार कर चुकाई गई अमन और शांति की भारी कीमत, पिछले दो दिनों से शहीदों के लिए जयघोष ,एक ग्लानी ,छोब से बोझिल है समूचा देश ,स्तब्ध मन को समझाना पढता है ,शरीर दुखों का घर है ,और बचपन मैं बतौर समझाई गई बातें इश्वर जिन्हें प्यार करता है उन्हें अपने पास बुला लेता है ,यकीन करना पढ़ता है हलाँकि यकीन करना मुश्कील है ,उन्हें शताधिक नमन ,.....बस इतना ही की खिलेंगे फूल उस जगह के तू जहाँ शहीद हो ,...देश प्रेम का सबसे जीवंत गीत ,रफी जी की गहरी संवेदनाओं के साथ बेशकीमती शब्द रचना ,ज्यादातर इसे सुना गया होगा ,इसे दुबारा सुने, ,सर्च करने पर भी नही मिला शायद आनंदमठ या शहीद भगतसिंग दिलीप कुमार की पिक्चर से है मिले तो देखे /सुनवाएं
लो ये स्मृति /यह श्रध्धा /ये हँसी/ये आहूत स्पर्श -पूत भाव /यह मैं यह तुम /यह खिलना/यह ज्वार ,यह प्लवन /यह प्यार /यह अडूब उमड़ना/ सब तुम्हे दिया/यह सब-सब तुम्हे दिया .....अजेय

7 टिप्‍पणियां:

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

लो ये स्मृति /यह श्रध्धा /ये हँसी/ये आहूत स्पर्श -पूत भाव /यह मैं यह तुम /यह खिलना/यह ज्वार ,यह प्लवन /यह प्यार /यह अडूब उमड़ना/ सब तुम्हे दिया/यह सब-सब तुम्हे दिया .....

आपकी श्रद्धांजली में हम सब शामिल हैं

डॉ .अनुराग ने कहा…

आक्रोशित हूँ ....हताश हूँ उन्हें नमन करता हूँ...पर सिर्फ़ एक प्रश्न मुझे परेशान करता है क्यों सरकार नही चेतती क्यों लोग चंद पैसो की खातिर कुछ भी तक पे रख देते है बिना ये जाने की उनके इस कदम का आगे क्या हर्ष होगा....देश को विपत्ति में डालने वाले वो लोग भी है जिन्होंने नाव के द्वारा आर डी एक्स आने की सूचना को गंभीरता से नही लिया था ......
श्रद्धांजली में हम सब शामिल हैं

jamos jhalla ने कहा…

Desh main raajnitigyaghyon ke virudh aaye asntosh ke oobaal se ek baat to clear ho jati hai ki ab samay aa gayaa hai jab hamen kewal voter ban kar sochnaa hai .asfal netaon ke liye kewal isthifaa hi nahin nahin varan sansad ,vidhaansabhaaon ke darvaaze hameshaa ke liye band karnaa waqt ki maang hai .jhallevichar.blogspot.compar bhi padhaarne ka agrah

Unknown ने कहा…

जिनकी स्मृति से मन पवित्र और सुगन्धित रहेगा
eulogising...

राज भाटिय़ा ने कहा…

श्रद्धांजली हम सब की ओर से भी.
धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

salaam tumhe e vatan ke raahi

विधुल्लता ने कहा…

किसी के जाने के बाद ,कहे जाने वाले शब्द उनकी कमी अखरेगी ,...सच..आप सभी का शुक्रिया आने और श्रधांजलि अर्पित करने का ,