शनिवार, 22 नवंबर 2008

सिटीजन केन ..सफलता, यश पैसा, सत्ता और अमरता की वासनाएं किस तरह किसी का क्रमिक आध्यात्मिक स्खलन करती हैं,की अंत मैं उनके पास बाकी सिर्फ डर और उसकी छाया

सिटीजन केन फिल्म का महत्व यह है की इसने सिनेमा को आर्ट फार्म की तरह इस्तमाल किया इसके डीप फोकस शॉट सब्जेक्टिव केमरों का प्रयोग अपारम्परिक रौशनी ,छायायों और अजीब कोणों का आविष्कार ,लंबे-लंबे शॉट्स फिल्म निर्माण के तकनिकी इतिहास की अमूल्य धरोहर बन गएँ हैं ,इस फिल्म ने समाचार को नैरेटिव की तरह इस्तमाल करना भी सिखाया ,...सफलता यश ,पैसा और अमरता की वासनाएं किस तरह से एक पत्रकार का क्रमिक आध्यात्मिक स्खलन करती है ,फ्लेश बेक मैं चलती जिन्दगी को किस ,तरह कहानी त्रासद तरीके से बताती है की की सब कुछ भर लेने की चाहत किस तरह आदमी को खाली कर देती है की लोग अपने किले जैसे निवास को व्यक्तिगत अभ्यारण बना लेतें हैं और अंत मैं उनके पास बाकी सिर्फ डर और उसकी छायाएं रह जाती हैं .......अखबारी दुनियाके एक सम्राट के मुँह से मरते हुए एक शब्द निकलता है रोज बढ़ इस आखरी शब्द का रहस्य क्या है ,..एक रिपोर्टर इसे ढूँढने निकलता है और उजागर होती है एक ऐसे अखबार मालिक की कहानी जिसने शुरुआत तो की थी समाज सेवा के महान आदर्शों के साथ ले किन जो अंततः निर्मम सत्ता -लिप्सा मैं परिणित हो जाती है ,...३७ अखबारों,दो सिंडिकेट ,एक रेडियो नेटवर्क का मालिक ,जिसके पास फेक्ट्रियां अपार्टमेन्ट ,पेपर मिलें जंगल भी है और जहाज भी ,....जिसे कभी फासिस्ट कहा गया जो कभी रूजवेल्ट के साथ दिखाई गया तो कभी हिटलर ,जो जनमत का महान निर्माता था ,स्वयं गवर्नर पद का प्रत्याशी भी ,संभवत जिसका अगला कदम व्हाइट हाउस ही था ,जो ना सिर्फ पेपर के ही नही बल्कि ख़ुद एकन्यूज़ के लिए जाना गया ,जो पीत पत्रकारिता का अग्रदूत था ,..वो सिटीजन केन ख़ुद प्यार के एक स्केंडल मैं फँस जाता है ,..और उसका साम्राज्य उसकी आंखों के सामने धराशायी हो जाता है ,जब थेचर उसे याद दिलाती है की उसका अखबार सालाना १०लाख डॉलर के नुक्सान को झेल रहा है ,तो केन मजाक मैं कहता ,तो इस गति से उसे अखबार ६० साल मैं बंद करना होगा ,एक ऐसा अखबार मालिक जो टेबूलायेड से प्रेरणा ग्रहण करता है जिसका मानना था की यदि हेड लाइंस बड़ी होगी तो न्यूज़ भी बड़ी होगी ,ना सुनी गई चेतावनियाँ ,...वो अपनी बेलेंस शीट की चेतावनी नही सुन पाया ,जो अपने अखबार मैं नागरिकों को इंसान समझने ,उनके अधिकारों की लडाई लड़ने की घोषणा एक बड़े बॉक्स मैं करता था वोही केन अपने प्रतिद्वंदी अखबारों को हारने की कवायद मैं एक चूहा दौड़ मैं पड़ जाता है ,आज भी संभ्रम बना हुआ है केन के अन्तिम शब्द रोज बढ़ का क्या अर्थ था ,क्या वो उसकी प्रेमिका का नाम था ,..पर उसने तो अपने सिवा किसी से प्रेम किया ही नही ,वो किसी रेस होर्स का नाम था ,लेकिन ये रेस कौन सी थी ,क्या वो एक चूहा दौड़ तो नही थी?
भोपाल के रविन्द्र भवन मैं इन दिनों पत्रकारों ,अखबार मालिकों उनके पेशेगत कठिनाइयों ,संघर्ष से आम जन को रूबरू कराने वाली फिल्मों का पर्दर्शन किया जा रहा है ,उन्ही मैं से एक सिटीजन केन भी है ,इस फिल्म के लिए निर्देशक को धमकियां भी मिली मुकदमें ,एफ बी आई ,की जांच भी ये फिल्म ९ श्रेणियों में आस्कर के लिए नामांकित हुई किंतु महत्त्व इसका है की अकेले आर्सन वेल्स को चार श्रेणियों ,...निर्माता,निर्देशक अभिनेता व् स्क्रीन प्ले मैं नामांकित किया गया था और ये सम्मान पाने वाल वो पहला व्यक्ति था ।
समीक्षा मनोज श्रीवास्तव ,...आयुक्त जनसंपर्क,और सचिव संस्कृति विभाग MP द्वारा। (सम्पादन की दृष्टि से मैंने इसमे कुछ स्वतंत्रताएं ले ली हैं...)

2 टिप्‍पणियां:

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

यह अमूल्य जानकारी लोगों तक पहुँचाने के लिए आप बधाई की पात्र हैं .

राज भाटिय़ा ने कहा…

अच्छी जानकारी के लिये
धन्यवाद