इतना लिखा
पहाड़ भर यादें,
समुद्र भर दुःख
आसमान भर सपने,
रात भर आवाजें,
दिन भर बातें,
धरती भर प्रेम,
फिर भी, फिर भी
कितना रीता रह गया,
दोस्त के नाम लिफाफा ...
(आज सुबह बारिश होने के बाद मेरे शहर में)
यह अंश डायरी के पन्नों से - धर्मेन्द्र पारे की कविता से...
6 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर रचना।
इतना लिखा,
इतना लिखा
पहाड़ भर यादें,
समुद्र भर दुःख
आसमान भर सपने,
रात भर
सुंदर रचना।
फिर भी
कितना रीता रह गया,
दोस्त के नाम लिफाफा ...
सही है ... सुंदर.
विलक्षण रचना...और चित्र...अद्भुत...वाह...
नीरज
क्या बात है, एक अति सुंदर रचना.
धन्यवाद
बहुत सुंदर !
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