शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025

 जब कोई समूह या व्यक्ति किसी घटना को चुनिंदा तरीके से देखता है, और मानवता को नहीं बल्कि पहचान की राजनीति के चश्मे से आंकता है — तो वह समाज के लिए धीरे-धीरे खतरनाक तत्व बन सकता है। आइए विश्लेषण करते हैं कि ऐसे एकतरफा सोच रखने वाले लोग क्यों और कैसे खतरनाक साबित हो सकते हैं:

1. सच को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं

ये लोग तथ्यों को अपने एजेंडे के अनुसार चुनते हैं। इससे न केवल झूठ को फैलाया जाता है, बल्कि असली पीड़ितों की आवाज़ दब जाती है। इससे सच और झूठ के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है।

2. ध्रुवीकरण (Polarization) को बढ़ावा देते हैं

एकतरफा सोच समाज में ‘हम बनाम वो’ का भाव पैदा करती है। इससे अलग-अलग समुदायों के बीच विश्वास की दीवारें गिरती हैं और कटुता बढ़ती है।

3. मानवता को बांटते हैं

जब पीड़ा को धर्म, जाति, या विचारधारा के आधार पर तौला जाता है, तो मानवता की बुनियाद हिलने लगती है। इससे समाज संवेदनहीन और असहिष्णु हो सकता है।

4. न्याय की राह में बाधा बनते हैं

एकतरफा स्टैंड लेने वाले लोग कभी-कभी न्याय की मांग को भी सांप्रदायिक या पक्षपाती रंग दे देते हैं। इससे असली अपराधियों को सज़ा मिलने में रुकावट आती है।

5. आतंक के प्रति तटस्थता को बढ़ावा देते हैं

जब कोई आतंकवादी कृत्य किसी "अनुकूल" नैरेटिव में फिट नहीं बैठता, तो उसे नज़रअंदाज कर देना या जस्टिफाई करना एक बेहद खतरनाक प्रवृत्ति है। ये आतंक को वैचारिक समर्थन जैसा बन सकता है।

निष्कर्ष:

ऐसे लोग मुक्त समाज के लिए खतरा हैं, क्योंकि ये ना केवल सच्चाई को छिपाते हैं बल्कि विभाजन और नफ़रत की ज़मीन तैयार करते हैं। इनकी विचारधारा के प्रति सजग और सचेत रहना, और विवेकपूर्ण प्रतिक्रिया देना ही इस चुनौती से निपटने का रास्ता है।

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