![](http://1.bp.blogspot.com/_6ICjerNHDNY/SXdInNFrx4I/AAAAAAAAAOc/AxhwPFJbCF4/s320/Year%25201%2520Seaside.jpg)
फर्क नही पड़ता,
कभी - कभी शब्दों अर्थों की बात,
फिजूल लगती है
शिखर पर नही जाना मुझे....
आओ ढूँढ निकालें महा समुद्र,
सीपियों,शंखों सुनहरी मछलियों,मोतियों वाला...
(उस दिन कितने पत्ते झड़े थे, जब जाते हुए देखा था -तुम्हे मैंने मोड़ से मुड़ते हुए ...
अपनी ही कविता का एक अंश)