लगभग साढे पन्द्रह लाख आबादी वाले अहमदाबाद की गांधी नगर संसदीय सीट पर इस बार लालकृष्ण आडवाणी का मुकाबला कांग्रेस के सुरेश पटेल से है...भा.जा .पा के घोषित प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार आडवाणी जी ने इस क्षेत्र मैं १५ सालों से लगातार जीत हांसिल की है .और हर चुनावी - जीत के बाद उनके दो -ढाई लाख वोट बढ़ जाते हें.गांधी नगर सीट का इतिहास गवाह हे की उनके सामने अच्छे और बढे ,नामी-गिरामी दिग्ज्जों की भी बुरी हार हुई है ...गाँधी नगर क्रीम एरिया है ,यहाँ अधिकाँश पढेलिखे और लब्ध-प्रतिष्ठीत लोगों की आबादी है और वे जानतें हैं की उन्हें क्या करना होगा -किसे चुनना होगा ...की जो उनके हित मैं होगा. इस बार आडवाणी के भाग्य का फैसला वे कर चुके हें,अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिषों की गणना -भविष्यवाणी और जनता ने भी अपने नेता का चुनाव कर लिया है ...और अब मुश्किल से सात दिन मैं चुनाव परिणाम आ भी जायेंगे ...इस बार आडवाणी जी की हार सुनिक्षित है यदि जीत जातें हैं तो भी प्रधान मंत्री बन ने के कोई आसार नही . ..उनके सितारें गर्दिश मैं हैं भले ही वो अपने को देश भर मैं एक उदारवादी नेता के रूप मैं पेश कर रहें हों ...बतौर युवाओं का नेता भी---बतलाने-जतलाने मैं कोई कोर-कसरनही छोड़ रहें हों ...अब इस बात से कोई फर्क नही पड़ता की उन्होंने देश के लिए कुछ किया या नही ..फिलवक्त वे २१ वीं शाताब्दी को भारत की शताब्दी बनाने,गरीबों को कंप्यूटर शिक्षा देने,लड़कियों को अनिवार्य शिक्षा...और शिक्षा के समुचित अवसर देने का वादा कर चुकें हें ......तो क्या भारत को आडवाणी जैसे बूढे बनाम युवा या युवा बनाम बूढे प्रधान मंत्री की जरूरत होगी चुनाव बाद निशिचित ही कुछ और मुद्दे उठेंगे ...इस नए अवतार [एक बड़ी राजनैतिक पत्रिका मैं अति रंजना शब्द शैली मैं उनका व्यख्यान किया गया है ]को परिणाम के बाद संन्यास लेते .हताश होते हुए भी देखा जा सकेगा ...मराठी मैं एक कहावत है ..दिसतो तसा नसतो...जैसा दिखाई देता है वैसा नही होता ..तो क्या आडवाणी के सन्दर्भ मैं कहा जा सकता है की वो जितना और जैसा जाने जाते हैं क्या उतने और वैसे हें जितना की उन्हें पेश्तर किया जारहा है, ---या नही ..चुनाव परिणाम के बाद ज्यादा ठीक से समझे जा सकेंगे ....फिलहाल उनका सामना कर रहें सुरेश पटेल ..कलोल तालुका के दस साल से एम् एल ऐ हें उनकी छवि साफ-सुथरी है इस क्षेत्र मैं तीन लाख लोग पाटीदार समाज के हें और इस वक्त वे सभी आडवाणी के विरोध मैं हें यदि सुरेश पटेल जीततें हें तो इस अमूल्य जीत के बाद उनका कद तो बढेगा ही साथ ही वो पार्टी मैं सिरमौर की हेसियत वाले नेता भी बन जायेंगें ...जीत के बाद सुरेश पटेल की प्राथमिकताओं मैं अहमदाबाद को जोड़ने वाले सभी गावों मैं सड़क -पानी प्राथमिक शिक्षा ,स्कूलों मैं सुधार की रहेगी.. जैसा उन्होंने बताया ....इस समाज के वर्तमान मैं तीन लाख परिवार अमेरिका मैं हैं, चुनाव प्रचार अभियान के दौरान १०० से ज्यादा लोगों ने भारत आकर सुरेश पटेल का होंसला आफजाई की थी...पटेल समाज के अध्यक्ष और जबरदस्त राजनैतिक हस्तक्षेप रखने वाले स्थानीय रहवासी डॉ। मफत लाल पटेल ने बताया ...दर- असल अधिकाँश लोगों की नापसंदगी लालकृष्ण आडवाणी के लिए क्यों है ?...पहली तो बीते पन्द्रह वर्षों मैं आडवाणी अपने क्षेत्र मैं ना तो कभी आए ना अपने क्षेत्र के लिए कुछ उल्लेखनिय किया --ना अपने क्षेत्र की जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरे ...दूसरे गुजरात मैं हुए अन्याय के खिलाफ लोकसभा सदस्य होने के नाते ना तो कुछ कहा -ना किया ....तीसरे हाल ही मैं आशाराम बापू के आश्रम मैं दो बालकों की ह्त्या के मामले मैं [तंत्र-मन्त्र हेतु ]उनके प्रति मिली भगत होने का संदेह ....जो भी हो इन चुनावों मैं जो भी तस्वीर उभरे लेकिन ...देश भर के पत्र-पत्रिकाओं मैं जो उनकी तस्वीरें प्रकाशित हुई हें वो एक हताशा और उत्साह के अतिरेक भरा ..मिला -जुला चेहरा है ...आत्म विशवास की झलक वहां हल्की है अन्यथा सन्यासी क्या यूँ ही कोई हो जाना चाहेगा .....
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिष जगदीश मोदी,डॉ मफत लाल पटेल स्थानीय रहवासी यों से बात चीत के आधार पर ....अहमदाबाद से लौटकर