बुधवार, 10 दिसंबर 2008

एक ख़त बेनामी भाई के नाम...कल एक पोस्ट ..फिर सत्ता मैं शिव सरकार,जिस बेनामी से सम्बंधित हो उसके लिए...


भाई बेनामी जी ...मैं चाहती तो इस बेनामी ऑप्शन या टिपण्णी को हटा सकती थी पर कोई फायदा नही होता,...जवाब सुने, यदि एक लेख लिखने से पाँच -दस साल का बंदोबस्त हो जाता है तो बेरोजगारी के इस युग मैं बड़ी बात है ,तो कयोना दस-बीस लेख लिख लिये जाएँ पूरे कुनबे का जिन्दगी भर की दूध-मलाई का इंतजाम हो जायेगा,...अफसोस आपके -पीछे -पीछे बिना पढ़े दो नामी भाई और आगये ...जवाब देने का मन तो नही था,लेकिन आज फिर आपने किसी ब्लॉग पर टिपण्णी की ये दुघ मलाई वाली कुठा क्यों है आपको किसी के बारे मैं विचार बनाने और उस पर लिखने से पहले उसे जानना होता है आप लिखिए ना ,,,भला -बुरा,मख्खन मलाई, गुड -इमली ,...अंगूर खट्टे हों खम्बा उंचा हो तो सर नोचने से कोई फायदा?स्याही को नसीब बना लेंगेतो आगे की जिन्दगी का क्या होगा,लड़ना पेशा नही, मेरा लिखना है ,मेरी समझ नही आता मौसम बदलते ही कुछ लोगों को बुखार क्यों आजाता है छींके क्यों आने लगती है ,हर जगह वो अपशुकन करने लगते हैं,थोडा भी बर्दास्त नही करते, क्या औरतें बस उलुल-जुलूल कविता-कहानी प्रेम पर ही लिखती रहें राजनेतिक सामजिक सरोकारों पर उनकी दखल से आपके अहं को चोट पहुँचती है और वह आपकी ,हाँ मैं हाँ मिलाती जिधर हांक दे चली जाएँ नकवी की भाषा मैं लिपस्टिक दूध-मलाई आयं-बायं जो मन आए कह जाए ...आप जैसे लोग ही स्त्री-पुरूष समानता मैं एक पहाड़ हैं .आपको उन गरीबों पर ज़रा भी दया नही आती जिनकी मुश्किलें दूर करने मैं पहली बार ये सरकार कामयाब रही है ..खासकर स्त्री के चेहरे पर एक मुस्कान तो आई है ,थोडा अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर सोचें अपने मैं तबदीली लायें भरम और झूट से बचें,जिन्दगी मैं कामयाब लोगों से कामयाबी के गुर सीखें सब्र करना और आत्मविश्लेषण करना भी ...१३ को शिव सरकार शपथ लेगी तब भी एक पोस्ट लिखूंगी ,,,इमानदारी से नामी-गिरामी होकर टिपण्णी देन,ताकि शुभकामनाओं के साथ कटोरा भर दूध-मलाई भी पोस्ट की जा सके.

12 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

बहुत सटीक बेवाक कथ्य के लिए आभारी हूँ .
महेंद्र मिश्रा
जबलपुर.

डॉ .अनुराग ने कहा…

काहे को परेशान होती है ,आपके लिखने में एक ख़ास ओज है जिसे इन तमाम नकरात्मक लेखो से दूर रखे ....लिखती रहे ..बिंदास

Rachna Singh ने कहा…

great reply they all feel {whether with name or without name } that slowly and steadly woman are encroaching on their territory.

let me tell you when i came in hindi bloging a yaer back i was told that i should only write in hindi , i should keep writing poetry only and also i was time and again told that i am spreading an antagonism in hindi blog world and provoking woman bloggers

ha ha ha

श्रुति अग्रवाल ने कहा…

विधु जी, मेरे पापा ने बताया था जो लोग गुमनाम होकर काम करते हैं वे बेहद डरपोक हैं। गुमनाम चिट्ठी और फोन करने वाले लोगों बेहद कमजोर होते हैं। आप जो लिखती हैं इनके जैसे लोग सोच भी नहीं सकते। ऐसे ही लोगों के लिए कहते हैं " हाथी मस्ती में चलते हैं और कुत्ते भौंकते हैं"

P.N. Subramanian ने कहा…

जो श्वान योनि में जन्म लेता है, उसे तो भौंकना ही पड़ेगा ना, लेकिन तलवा भी वही चाटता है.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

इन बेनामियों से सभी परेशान हैं ! हम लोग ब्लॉग पब्लिक के लिए इसी लिए खोल कर रखते हैं की हमारे लेखन पर दूसरो की राय जानी जा सके ! दूसरो से मतलब बेनामियों से नही ! ठीक है किसी बात के प्रति आपका एक नजरिया है तो जरुरी नही की दुसरे भी उससे इफाक रखते हों उसी रूप में !

दूसरो को भी अपना नजरिया रखना जरुरी है पर अपनी पहचान के साथ ! हम तो कई जगह इतफाक नही रखते तो बाकायदा बहस होती है ! सब जानते हैं एक दुसरे को ! आप कमेन्ट मोडरेशन लागू करके इन से निजात पाईये और आपकी बात हम सबको भी साझा कीजिये !

मुझे तो आपका लेखन बड़ा सटीक लगा ! शिवराज जी आज तारीफ़ के काबिल हैं तो उनकी बुराई जबरदस्ती कौन करेगा ? हाँ कल को वो कोई ऐसे काम करेंगे तो उनकी बुराई भी आप और हम ही करेंगे !

बहुत शुभकामनाएं आपको इस लेखन के लिए !

राम राम !

विधुल्लता ने कहा…

फैज की ये पंक्तिया हमेशा ही याद रखती हूँ ,तुम खोफों -खतर से दर गुजरों ,जो होना है सो होना है ,गर हंसना है तो हंसना है ,गर रोना है तो रोना है तुम अपनी करनी कर गुजरो,जो होगा देखा जाएगाधन्यवाद महेंद्र मिश्रा जी ,डॉ अनुरागजी ,रचना सिंग जी ,प्रिय श्रुति, पी एन सुब्रमण्यम जी

सुप्रतिम बनर्जी ने कहा…

मेरे ब्लॉग पर जब पहली बार किसी बेनामी ने अजीब सी टिप्पणी की थी, तो लोगों ने मेरी बहुत हौसला आफ़ज़ायी की थी। हालांकि कुछ लोगों ने मॉडरेशन का सहारा लेने की बात कही, मगर मुझे ये ठीक नहीं लगा। कहने दीजिए जो ऊटपटांग कहते हैं, आप किस-किस का मुंह बंद करेंगी? हां, इतना ज़रूर याद रखिए कि हर दो बेनामी पर दस नामी ज़रूर हैं।

राज भाटिय़ा ने कहा…

अजी आप तो लिखती भी बहुत खुब है फ़िर भी इन अनामी को दिक्कत है,वेसे किसी को किसी बात से दिक्कत हो तो अपने नाम से भी तो लिख सकते है, ओर अगर अपने नाम सेलिखे तो अच्छा भी है, चलिये अब आप ज्याद दिल पर मत ले यह अनामी सब के लिये सुनामी है, भगवान करे इन्हे भी अकल आ जाये.वेसे सरुती भाई की बात ठीक है
धन्यवाद

shivraj gujar ने कहा…

vidhuji aise benamion se kya pareshan hona. jinki khud ki koi pahchan nahi unhen kisi ke kaam par tippani karne ka koi hak nahi banta. aap to khul kar likhiye. is tarah ki khurdari tippaniyon se apani lekhani ki dhar tej kijiye or chodte jayiye shabdon ke nishan.
shivraj gujar

BrijmohanShrivastava ने कहा…

ठीक ही तो लिखा गया है

बेनामी ने कहा…

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Regards from Poland