शुक्रवार, 7 नवंबर 2008

कुछ दुःख भी सुखों की तरह अलौकिक होते हैं...








जब वो चार साल की थी तभी तय हो चुका था की उसके किडनी का आपरेशन होगा ...और जब वो ९ साल की हुई उसका आपरेशन हो रहा था ,जो करीब ९ घंटों तक चला उतने समय मेरी आंखों से आंसू बहते रहे,-जाने कितनी दुश्चिंताओं के साथ की अन्दर डॉक्टर उसको चीर-फाड़ रहे होंगे। एक असहाय और निश्चित नियति में, वो समय गुज़र रहा था... मित्र,परिवार सभी लोग चारो और थे लेकिन माँ तो अकेली थी- बस बेटी और मेरे बीच एक इश्वर था... वो ज़िन्दगी का अनमोल पल था जब शाम सात बजे डॉक्टर ने आकर कहा, "आप उसे देख सकते हैं", हमारी ज़िन्दगी में कुछ दुःख भी सुखों की तरह अलौकिक होते हैं और एक ही मुहाने पर आ खड़े होते हैं, वो पल ऐसा ही था। उसे स्ट्रेचेर पर लेटे देखा, हाथ और पेट पर अनगिन पट्टियाँ-नलियाँउसे जोर से गले लगाकर, भींचने का मन हुआ... जब पैदा हुई थी एकदम रुई के गोले सी किंतु नर्म दहकते हुए टेसू के फूल की तरह और उस वक्त मुरझाई, सुस्त और पीली पड़ गई थी। वो उसका पुनर्जन्म था... माँ से बेटी का जो रागात्मक रिश्ता होता है, ताउम्र एक ही लय-ताल से बंधा होता है। वो दुःख जो नौ घंटे मैंने जिए, उन महीनो में भी जब वो मेरे शरीर में अपने नन्हे शरीर के साथ एक सुखद अनुभूति की तरह पल-बढ़ रही थी तभी उसने मुझे एकाग्र होना सिखाया था, आत्मा से एकाग्र होना और उस दुःख ने ही मुझे मांजा और सुख ने मुझे जिलाया।
इसके बाद वह लगातार एक माह तक नर्सिंग-में रही, अपने प्रतिदिन के काम करना डॉक्टर की विसिट के पहले वाली सारी मेडिसिंस खाना, उन्हें नोटबुक में लिखना अपनी यूरीन बैग पकड़े हुए टॉयलेट जाना, उसे संभालना... पूरी-पूरी रात वह मेरी बांह पर सोती, कॉमिक्स पढ़ती - ताज्जुब कोई दुःख, कोई थकान, कोई मुश्किल नहीं होती - बस वो स्वस्थ हो गई। ज़िन्दगी की सबसे बड़ी अनुपम सौगात, जब मैंने उसे बीमारी से उभरते हुए, चलते-फिरते देखा वो मेरी भूख , प्यास , नींद, सुख-दुःख का ध्यान रखती अपनी उम्र से दस साल बड़ी हो गई थी उन दिनों... और आज (आठ नवम्बर) को वो अट्ठारह साल की हो गई है। इस दुनिया की सारी खुशियाँ उसे मिलेगी, विश्वास है...

12 टिप्‍पणियां:

सुनील मंथन शर्मा ने कहा…

कुछ दुःख भी सुखों की तरह अलौकिक होते हैं... के इंट्रो ने मनोयोग से पढने के लिए मजबूर किया. पढ़ा तो पहले दुःख हुआ. संघर्ष को समझा. दुःख, वेदना, संशय के बाद जीवन की उम्मीद जगी. और फ़िर हर्ष से आह्लादित हो गया. लगा जैसे यह सब में भी जी रहा हूँ. हाँ, एक बात और इश्वर है, यह भी 'बस बेटी और मेरे बीच एक इश्वर था...' पंक्ति से महसूस हुआ. खुशी के इस क्षण में आपकी लाडली को जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ.

pallavi trivedi ने कहा…

aapki bitiya ko jeevan mein tamaam khushiyan mile....usne apne hisse ke dukh jhel liye hain.ek maa ka dard ,pyaar ,fikr sab kuch dikhai de gaya aapki post mein.

संगीता पुरी ने कहा…

आपकी लाडली को 18वें जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ.

PURVA ने कहा…

madhu taiji ne kaha.....18th janmdin par tumari akeli par meri is chouthi beti ko ishwer wo shakti de ki wo jeevan main fool aur kanto ko ek sath swikar kar sake kyonki kanto ki chubhan hi to foolon ko arth deti hai....... november,8,2008 12:00

Kavita Vachaknavee ने कहा…

बिटिया स्वस्थ रहे व शतायु हो.

डॉ .अनुराग ने कहा…

मेरी ढेर सारी दुआ ओर स्नेह उसे दीजियेगा ...बाकी आपने सब कुछ कह दिया है.....देखना एक दिन आपको उस पर गर्व होगा ...

विधुल्लता ने कहा…

तहेदिल से शुक्रिया.सभी का

विधुल्लता ने कहा…
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shivraj gujar ने कहा…

आपकी लाडली को जन्मदिन की देर सारी शुभकामनायें. मेरी दुआ है की भगवन उसे इस काबिल बनाये की आप गर्व से कह सकें की वो आपकी बेटी है.
कभी मेरे ब्लॉग (meridayari.blogspot)पर भी आयें

बेनामी ने कहा…

aap ka email nahin mil rhaa haen
please mujeh sae freelancetextiledesigner@gmail.com par sampark karey

बेनामी ने कहा…

Dear Bulbul,
जन्मदिन की हार्दिक बधाई,
You are such a lovely daughter of uniquly nice mom.

Abhilasha

बेनामी ने कहा…

कानों में मधुर
राग रागिनी
खिलखिलाती झनक
जीवन सफ़र की
अंतरंग सहेली
माँ तू है!

आँखों में बसी
रूप रोशनी
मरहम-सी छुवन
कड़ी धूप में
छाँव शीतल
माँ तू है!

खुशबू-सी पावन
मुस्कुराता गगन
साए में दर्द के
हँसने की लगन
सुलझी पहेली
माँ तू है!

एक मीठा स्वाद
सुंदर अहसास
डगमगाते क्षणों में
स्थिर विश्वास
सागर अथाह
माँ तू है!