tag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post5244730204475483203..comments2023-10-03T08:14:01.037-07:00Comments on ताना-बाना: जलती-बुझती रोशनियों का एकालाप... एक माँ के दिल से... //-विधुल्लताhttp://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-65959219462534817772010-06-06T01:45:08.560-07:002010-06-06T01:45:08.560-07:00bahut samvedansheel vishay par likha hai aapne. ap...bahut samvedansheel vishay par likha hai aapne. apni maa. behno aur patni ka jeevan sangharsh dekhta hoon to aisi he bhavnayen mere man me bhi aati hain. meri behen bhi apni beti ke baare me apni chintayen aur kalpanayen share karti rehti hai. aapki beti ko,aur apko bhi hamare pariwar ki shubhkamnayen. aap bhi meri ma, behno, patni aur bhanji ke liye dua keejiyega.nikashhttps://www.blogger.com/profile/02397022344401624005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-6076204244803528632010-06-02T04:32:16.894-07:002010-06-02T04:32:16.894-07:00बात तो आपकी भी ठीक है, लेकिन औरत को एक घर को ...बात तो आपकी भी ठीक है, लेकिन औरत को एक घर को जोड़ने वाली कड़ी समझा जाता है, इसीलिए सब अपनी बेटियों को चूल्हा चौकी और दुसरे कार्यों में पारंगत करते है . <br /><br />वैसे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है !SomeOnehttps://www.blogger.com/profile/14159813226850989502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-68863571881406071102010-05-27T11:10:08.099-07:002010-05-27T11:10:08.099-07:00aap sabhi ko dher se dhanyvaadaap sabhi ko dher se dhanyvaadविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-50317938288009876512010-05-26T01:44:11.403-07:002010-05-26T01:44:11.403-07:00कहते है बेटी मां की छाया होती है .... उसकी इच्छायो...कहते है बेटी मां की छाया होती है .... उसकी इच्छायो का पौधा ...उस पौधे को समय पर छाया ओर धूप की नियमित डोज़ कोई सुघड़ मां ही दे सकती है ......आज अखबार में पी एम् टी में सलेक्ट एक बेटी का इंटर व्यू पढ़ रहा था....कहती है .....मां रात भर मेरे साथ जागती थी .....मां के एक्जाम कभी ख़त्म नहीं होते .....हर बच्चे के साथ चलते है ..पहले भी आपकी एक पोस्ट पढ़ी थी .बेटी के बचपन के किसी कार्ड को लेकर......मेरी मां अक्सर गुस्से में कहती थी .....बेटी से घर बनता है ..तुम लडको का क्या करूँ....एक नन्ही पारी का मेरा भी सपना है .....जाने पूरा होगा के नहीं ........डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-87337523274810301972010-05-26T00:14:07.995-07:002010-05-26T00:14:07.995-07:00niceniceमाधव( Madhav)https://www.blogger.com/profile/07993697625251806552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-35376245143109817192010-05-25T08:44:27.026-07:002010-05-25T08:44:27.026-07:00"इसीलिए पढो!.. सच ही है अशिक्षा ही स्त्री के ..."इसीलिए पढो!.. सच ही है अशिक्षा ही स्त्री के दुखों का कारण है, स्त्री को यदि स्टैंड करना होगा तो उसे पढना ही होगा.. थ्योरी / प्रक्टिकल/ टेक्नीकल सभी कुछ...आज वो अपने लिए जीना सीखेगी तभी तो कल दूसरों के लिए जीना सीख पायेगी..."<br />इसी में हम सबका भला है - धन्यवाद्Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-14458880872115822842010-05-21T05:35:02.771-07:002010-05-21T05:35:02.771-07:00यही सही है, जब चित्त हो; समय हो; कोई मुश्किल ना हो...यही सही है, जब चित्त हो; समय हो; कोई मुश्किल ना हो, तभी कुछ बने तो स्वादिष्ट बनता है,<br />आज वो अपने लिए जीना सीखेगी तभी तो कल दूसरों के लिए जीना सीख पायेगी...<br /><br /><br />विधु जी,<br />यह दो बातें सारी बातों पर भारी है। क्योंकि इनमें ज़िदगी का अनुभवजनित फलसफ़ा छुपा हुआ है। <br />ब्लाग पर आने और हौसला बढ़ाने के लिए शुक्रियाR.Venukumarhttps://www.blogger.com/profile/17501996519970954554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-91314301949136647902010-05-20T10:09:48.873-07:002010-05-20T10:09:48.873-07:00विधु जी, मां बेटी और मां के बीच का यह एकालाप अंदर ...विधु जी, मां बेटी और मां के बीच का यह एकालाप अंदर तक छू गया। आपने हर मध्यमवर्गीय परिवार के अंदर चलते घमासान को सामने रख दिया। बिटिया क्या सचमुच इतनी बड़ी हो गई कि पढ़ने के लिए अमरीका जा रही है। अभी तो मैं उसे साइकिल पर एकलव्य में आते-जाते देखता था। बहुत बहुत शुभकामनाएं दें उसे।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-6709137231135010582010-05-20T07:35:01.557-07:002010-05-20T07:35:01.557-07:00पढ़ते पढ़ते लगा ... घर की ही दास्तान पढ़ रहा हूँ ....पढ़ते पढ़ते लगा ... घर की ही दास्तान पढ़ रहा हूँ ... रिश्तों को बहुत अच्छे से पकड़ा है आपने ... लाजवाब प्रस्तुति है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-21303608419195015582010-05-19T01:23:54.201-07:002010-05-19T01:23:54.201-07:00ताना बाना पढ़ा और दुखी हूं कि अब तक क्यों नहीं पढ़...ताना बाना पढ़ा और दुखी हूं कि अब तक क्यों नहीं पढ़ा...आगे से ऐसी गलत्ती नहीं होगी। अपने आप को इस लायक नहीं पाता कि आपकी प्रशंसा करुं ।प्रभात रंजनhttps://www.blogger.com/profile/04691009431273824905noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-10272740601455600372010-05-19T00:57:30.276-07:002010-05-19T00:57:30.276-07:00माँ बेटी का यह रिश्ता जैसे आपने हर माँ बेटी के रिश...माँ बेटी का यह रिश्ता जैसे आपने हर माँ बेटी के रिश्ते की दिल की बात लिख दी हो ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-64203619808459941572010-05-17T15:31:15.560-07:002010-05-17T15:31:15.560-07:00विधुजी! मांओं और बेटीयों की मनोदशा, दुविधाओं और अप...विधुजी! मांओं और बेटीयों की मनोदशा, दुविधाओं और अपेक्षाओं को कैसे उकेरा है लगता है आप मेरे घर की बात कर रही हैं ...neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-23709807947668160432010-05-17T12:04:19.472-07:002010-05-17T12:04:19.472-07:00बस्तर के जंगलों में नक्सलियों द्वारा निर्दोष पुलिस...बस्तर के जंगलों में नक्सलियों द्वारा निर्दोष पुलिस के जवानों के नरसंहार पर कवि की संवेदना व पीड़ा उभरकर सामने आई है |<br /><br />बस्तर की कोयल रोई क्यों ?<br />अपने कोयल होने पर, अपनी कूह-कूह पर<br />बस्तर की कोयल होने पर<br /><br />सनसनाते पेड़<br />झुरझुराती टहनियां<br />सरसराते पत्ते<br />घने, कुंआरे जंगल,<br />पेड़, वृक्ष, पत्तियां<br />टहनियां सब जड़ हैं,<br />सब शांत हैं, बेहद शर्मसार है |<br /><br />बारूद की गंध से, नक्सली आतंक से<br />पेड़ों की आपस में बातचीत बंद है,<br />पत्तियां की फुस-फुसाहट भी शायद,<br />तड़तड़ाहट से बंदूकों की<br />चिड़ियों की चहचहाट<br />कौओं की कांव कांव,<br />मुर्गों की बांग,<br />शेर की पदचाप,<br />बंदरों की उछलकूद<br />हिरणों की कुलांचे,<br />कोयल की कूह-कूह<br />मौन-मौन और सब मौन है<br />निर्मम, अनजान, अजनबी आहट,<br />और अनचाहे सन्नाटे से !<br /><br />आदि बालाओ का प्रेम नृत्य,<br />महुए से पकती, मस्त जिंदगी<br />लांदा पकाती, आदिवासी औरतें,<br />पवित्र मासूम प्रेम का घोटुल,<br />जंगल का भोलापन<br />मुस्कान, चेहरे की हरितिमा,<br />कहां है सब<br /><br />केवल बारूद की गंध,<br />पेड़ पत्ती टहनियाँ<br />सब बारूद के,<br />बारूद से, बारूद के लिए<br />भारी मशीनों की घड़घड़ाहट,<br />भारी, वजनी कदमों की चरमराहट।<br /><br />फिर बस्तर की कोयल रोई क्यों ?<br /><br />बस एक बेहद खामोश धमाका,<br />पेड़ों पर फलो की तरह<br />लटके मानव मांस के लोथड़े<br />पत्तियों की जगह पुलिस की वर्दियाँ<br />टहनियों पर चमकते तमगे और मेडल<br />सस्ती जिंदगी, अनजानों पर न्यौछावर<br />मानवीय संवेदनाएं, बारूदी घुएं पर<br />वर्दी, टोपी, राईफल सब पेड़ों पर फंसी<br />ड्राईंग रूम में लगे शौर्य चिन्हों की तरह<br />निःसंग, निःशब्द बेहद संजीदा<br />दर्द से लिपटी मौत,<br />ना दोस्त ना दुश्मन<br />बस देश-सेवा की लगन।<br /><br />विदा प्यारे बस्तर के खामोश जंगल, अलिवदा<br />आज फिर बस्तर की कोयल रोई,<br />अपने अजीज मासूमों की शहादत पर,<br />बस्तर के जंगल के शर्मसार होने पर<br />अपने कोयल होने पर,<br />अपनी कूह-कूह पर<br />बस्तर की कोयल होने पर<br />आज फिर बस्तर की कोयल रोई क्यों ?<br /><br />अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार, कवि संजीव ठाकुर की कलम सेUnknownhttps://www.blogger.com/profile/06416954992294116922noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-76359983001584323452010-05-17T10:25:52.307-07:002010-05-17T10:25:52.307-07:00Bahut achha lekhan andaaz hai...chand baaten to la...Bahut achha lekhan andaaz hai...chand baaten to laga mere shabd le liye..jaise,ki, patika dosharopan....beteeko kuchh nahi sikhaya!<br />Ek kaliko zamana zabardasti phool bana dena chahta hai...kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-9652265863088931272010-05-17T10:00:50.167-07:002010-05-17T10:00:50.167-07:00bahut sahi baat kahi...zindagi jeene ke do tareeke...bahut sahi baat kahi...zindagi jeene ke do tareeke hai...chupchaap baitho kuch na karo..doosra kuch to karo sahi ya galat ...galtiyan sikhayengi hi....दिलीपhttps://www.blogger.com/profile/15304203780968402944noreply@blogger.com