tag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post1167661192235101699..comments2023-10-03T08:14:01.037-07:00Comments on ताना-बाना: देखना लौटती डोंगियों को जिनके आवारा मस्तूलों पर हवा के थपेड़ों ने जर्जर शब्दों में कुछ लिख दिया है .इस मायावी-दुनियावी का शायद कोई गीत ...विधुल्लताhttp://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-68267649974808172662010-05-18T22:16:00.078-07:002010-05-18T22:16:00.078-07:00दैनिक जनसत्ता दिनांक 19 मई 2010 के संपादकीय पेज 6...दैनिक जनसत्ता दिनांक 19 मई 2010 के संपादकीय पेज 6 पर समांतर स्तंभ में लौटती हुई डोंगियां शीर्षक से आपकी यह पोस्ट प्रकाशित हुई है, बधाइ्र।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-15627844048770540672010-04-05T10:36:17.926-07:002010-04-05T10:36:17.926-07:00hum to kayal ho gaye is sher ke aur rachna bhi ach...hum to kayal ho gaye is sher ke aur rachna bhi achchhi lagi ,pahli baar aai aur man ko khus kar diya ye blog ,ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-50613008202661507342010-04-04T01:48:33.071-07:002010-04-04T01:48:33.071-07:00डोंगियों के मस्तूलों पर सबाओं के जीर्ण गीत .....ग...डोंगियों के मस्तूलों पर सबाओं के जीर्ण गीत .....गुपचुप , मौन ....थका सा कोई अनहद गूंजता है ....जैसे किसी बंद खिड़की का बरसों से खुलने का इन्तजार हो ....<br /><br />तट पर बंधी डोंगियाँ कसमसाती है तट छोड़ लहर संग बीच भंवर डूब जाने को आतुर ....उफ्फ्फ......कहीं भीतर तक आहत करते हुए जुमले .....एक पार्थिवता अन्दर कहीं गलती जाती है ....एक रूंधता हुआ शब्द बाहर आना चाहता है .....<br />सच कहूँ..... आज शब्दों के इस भंवर में बहुत देर डूबना चाहती हूँ ...उलझना चाहती हूँ.....अपने आप को खो देना चाहती हूँ .....बेखौफ घुलना चाहती हूँ .....शायद डोंगियाँ अब न लौटें ..... .शायद चिड़िया के पंख हमेशा के लिए झड़ जायें .....बस बिखर जाऊं तो मुझको ना समेटे कोई ......हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-12823709257495542172010-04-03T22:46:30.512-07:002010-04-03T22:46:30.512-07:00badhiya lekh sath me koobsurat shayari bhi.gahara ...badhiya lekh sath me koobsurat shayari bhi.gahara chintan.पूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-61101468008847377372010-03-30T11:21:58.431-07:002010-03-30T11:21:58.431-07:00पोस्ट की शुरुआत अपने आप में किसी गीत से कम नहीं , ...पोस्ट की शुरुआत अपने आप में किसी गीत से कम नहीं , उस पर शायरा परवीन शाकिर की नज़्म .. अपने आप में किसी मायावी दुनिया से कम है क्या ... लगता है मै खुद इस मायावी दुनिया का हिस्सा बनकर मौसम की नदी के किनारे बैठी इन डोंगियों को देख रही हूँ ... वल्लाह क्या नज़ारा है ..Renu goelhttps://www.blogger.com/profile/13517735056774877294noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-21264557427998562772010-03-29T02:20:21.927-07:002010-03-29T02:20:21.927-07:00बहुत सुन्दर शब्द-चित्र.., पूर्ण विराम के बगैर ढेर...बहुत सुन्दर शब्द-चित्र.., पूर्ण विराम के बगैर ढेर से कोमाओं के सहारे रचा गया, आखिर ज़िन्दगी कभी रूकती नहीं......"<br />amitraghat.blogspot.comAmitraghathttps://www.blogger.com/profile/13388650458624496424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-59103430042808053572010-03-29T01:21:55.053-07:002010-03-29T01:21:55.053-07:00अहसासों का यह कोलाज निजी वजहों से बिछुड़ते पलों का...अहसासों का यह कोलाज निजी वजहों से बिछुड़ते पलों का सेलाब आँखों में भर लाता है और दस्तक देता है आत्मा के कोने में ...neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-22994077279947075492010-03-29T00:55:43.498-07:002010-03-29T00:55:43.498-07:00पूरा सफहा एक बहती रौ है ....जिसमे कई बार डूबता उतर...पूरा सफहा एक बहती रौ है ....जिसमे कई बार डूबता उतरता हूँ...सच्ची...<br />बीच में कई बार अटकता भी हूँ....सिर्फ इसलिए के कुछ अहसास पकड़ सकूँ....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-11835907667247536002010-03-28T10:03:59.893-07:002010-03-28T10:03:59.893-07:00हमेशा की तरह से सुंदर लेख.
धन्यवादहमेशा की तरह से सुंदर लेख.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-35318385413773307702010-03-28T08:53:06.166-07:002010-03-28T08:53:06.166-07:00हम तो सदा से आपकी लेखनी के दीवाने हैंहम तो सदा से आपकी लेखनी के दीवाने हैंVinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-73327911147555616652010-03-28T07:34:45.493-07:002010-03-28T07:34:45.493-07:00एक इतिहास की यात्रा में ,स्मृति में एक हंसी गूंजती...एक इतिहास की यात्रा में ,स्मृति में एक हंसी गूंजती है... ढेर से खिलने वाले फूलों के दिन मामूली ख़ुशी दे पातें हेँ पीले फूलों की भव्यता के साथ लदा-फदा तेबुआइन खिलखिलाता है ...<br /><br />Sundar chitramay prastuti ...<br />Man mein atardhwand ko chtra ke madhyam se bahut hi khoobsurat dhang se aapne jiwan ke satya ko udghatit kiya hai... <br />Bahut shubhkamyenकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com