tag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post5352116906103082098..comments2023-10-03T08:14:01.037-07:00Comments on ताना-बाना: बहुत कुछ छूट जाता हैअक्सर,जैसे कुछ भले लोग, और बेरहमी से छूट जाता है बरसों का साथ विधुल्लताhttp://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-62739508299487112472012-11-07T22:36:57.400-08:002012-11-07T22:36:57.400-08:00स्मृतियों के तन्तु टूटते,
सहते वर्तमान, जूझते।स्मृतियों के तन्तु टूटते,<br />सहते वर्तमान, जूझते।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-60731612854177913232012-11-07T03:58:40.792-08:002012-11-07T03:58:40.792-08:00एक दिन खुद से ही छूट जाती अपनी मिटटी सी देह ..यही ...एक दिन खुद से ही छूट जाती अपनी मिटटी सी देह ..यही शास्वत सच है ....बाकी फिर बचा क्या ?रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-75344245600295561182012-11-07T02:49:12.053-08:002012-11-07T02:49:12.053-08:00कुछ छूटते हुए को पकड़ने का क्रम
चलता रहता है निरन्...कुछ छूटते हुए को पकड़ने का क्रम<br />चलता रहता है निरन्तर<br />सब इसी फेर में हैं<br />कुछ छूटने ना पाये पर<br />फिर भी छूटता जा रहा है<br />कहीं छूटते हैं अंजाने ही<br />अपनों से अपने<br />कहीं छूट जाता है<br />हाथों से हाथ<br />....सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com