tag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post3740755421901609182..comments2023-10-03T08:14:01.037-07:00Comments on ताना-बाना: एक चौकन्नी चिडिया की तरह मन आसन्न खतरे को भांप लेता है ओर एक खीज भरे रास्ते से गुजर जाता है... क्या मांगू उससे वो सब कुछ दे सकता है.विधुल्लताhttp://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-57023633812011867052009-05-22T10:28:47.335-07:002009-05-22T10:28:47.335-07:00आपकी भाषा चमत्कृत करती है!!आपकी भाषा चमत्कृत करती है!!Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-24223673519035996292009-05-21T03:14:14.965-07:002009-05-21T03:14:14.965-07:00गली गलियारों से लौटते ताजगी-खुशबू भरे दिन एक-एक शब...गली गलियारों से लौटते ताजगी-खुशबू भरे दिन एक-एक शब्द सेमल के फूलों की तरह सुर्ख-सुंदर दिल-दिमाग पर टंगते जातें हैं.... काव्यात्मक तरलता से परिपूर्ण अभिव्यक्ति .<br /> ...मुश्किलें शब्दों से हल हो जाएँ जरूरी तो नही .... <br />मुश्किलें कभी-कभी सांसों के बारीक़ kolahl से भी asan होती haeमोना परसाईhttps://www.blogger.com/profile/12594385907790833725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-86904924940152097672009-05-20T23:42:20.495-07:002009-05-20T23:42:20.495-07:00अनुराग जी ,अनिल कान्त सुब्रमन्यम जी समीर जी एवं भा...अनुराग जी ,अनिल कान्त सुब्रमन्यम जी समीर जी एवं भाई विनय और अली जी आप सभी का बहुत बहुत शुक्रया ...पिछले कई दिनों से चुनावी हल चल और राजनेतिक उठा-पठक के बाद अब राहतहै.सभी की पिछली कोई पोस्ट नही देख पाई इस हफ्ते बस पढ़ना और कमेंट्स यही एक काम है ...शुभकामनाएंविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-46491821070808289962009-05-20T20:30:08.686-07:002009-05-20T20:30:08.686-07:00" मुश्किलें शब्दों से हल हो जाएँ जरूरी तो नही ......." मुश्किलें शब्दों से हल हो जाएँ जरूरी तो नही .... "<br /><br />बढ़िया ! <br />शुभकामनायें !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-45743507408055815522009-05-20T10:24:42.631-07:002009-05-20T10:24:42.631-07:00aapki lekhani ka jaadoo sar chaDhh ke bolataa haiaapki lekhani ka jaadoo sar chaDhh ke bolataa haiVinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-13431983218801941242009-05-20T09:32:00.238-07:002009-05-20T09:32:00.238-07:00लीलाधर जी की कविता के अंश पसंद आये..क्या कहा जाये!...लीलाधर जी की कविता के अंश पसंद आये..क्या कहा जाये!! एक बेहतरीन आलेख.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-41307035603085640662009-05-20T09:30:28.493-07:002009-05-20T09:30:28.493-07:00"बस मन के पीछे मन को धकेल कर बैठा जा सकता था" ,सुन..."बस मन के पीछे मन को धकेल कर बैठा जा सकता था" ,सुन्दर आलेख. आभार.PN Subramanianhttp://mallar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-23214021147817533422009-05-20T07:11:17.309-07:002009-05-20T07:11:17.309-07:00शायद कभी कभी ऐसा ही लगता है
मुश्किलें शब्दों से हल...शायद कभी कभी ऐसा ही लगता है<br />मुश्किलें शब्दों से हल हो जायें जरूरी तो नहींअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-68764266555797010512009-05-20T06:48:45.802-07:002009-05-20T06:48:45.802-07:00अक्सर दिमाग चौकन्ना होकर भी आने वाले खतरे को बदल ...अक्सर दिमाग चौकन्ना होकर भी आने वाले खतरे को बदल नहीं पाता .....सिर्फ मन को अचानक मिले आघात से बचाता भर है ..अपनी मर्जी से अगर सुख ओर दुःख बांटे जाते .तो ये दुनिया आज किसी ओर दिशा में झुकी मिलती.....पर कभी कभी कुछ अहसास जब मिलते है ..जब वे अपना अर्थ खो चुके होते है ....ओर सिवाय पोस्टमार्टम के ....अपने दुखो को खंगालने के अलावा कुछ हासिल नहीं होताडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.com