tag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post1995450178994871804..comments2023-10-03T08:14:01.037-07:00Comments on ताना-बाना: कुछ चीजों के साथ समय का फेरा था /औरइतिहास के जीवाश्म मैं परिवर्तित होने से /बचा हुआ समय ही है-/ और था /हमारे पासविधुल्लताhttp://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-53909732259366010082009-07-20T01:57:27.029-07:002009-07-20T01:57:27.029-07:00कुछ सवाल निरस्त होतें हें/ हों भी तो?/जानती हूँ तु...कुछ सवाल निरस्त होतें हें/ हों भी तो?/जानती हूँ तुम अनुत्तरित रहोगे/मुमकिन सम्भव खोज लोगे /मेरे लिए कोई विकल्प/<br /><br />सच कहा... कभी कभी शब्द कम पढ़ जाते हैं जो आप kahna chaahte हो उसकी अभिव्यक्ति मैं.............. लाजवाब लिखा है आपने कई कई बार padha हर बार कुछ nayaa detiai यह रचनादिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-54911943323266441362009-07-19T00:17:10.763-07:002009-07-19T00:17:10.763-07:00महसूस किया जा सकता है कि इस प्रकार का लिखने के लिय...महसूस किया जा सकता है कि इस प्रकार का लिखने के लिये कहां-कहां से गुजरना होता है।इरशाद अलीhttps://www.blogger.com/profile/15303810725164499298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-85327469674251873422009-07-18T19:04:43.232-07:002009-07-18T19:04:43.232-07:00vidhu ji! ur words are the deepest thoughts...!vidhu ji! ur words are the deepest thoughts...!Unknownhttps://www.blogger.com/profile/13484152564657363596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-252668608189300382009-07-18T08:59:07.302-07:002009-07-18T08:59:07.302-07:00श्यामल सुमन जी अनिल कान्त एवं डॉ अनुराग जी, अर्श ज...श्यामल सुमन जी अनिल कान्त एवं डॉ अनुराग जी, अर्श जी, और पी एन सुब्रमनियम जी आप सभी का आभार आएवं पिछली पोस्ट पर आए सभी बंधुओं का मैं तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ....अमूमन जल्द लिखना नही चाहती ...पत्र- पत्रिकाओं मैं प्रकाशित ढेरों कविताओं को आप सभी को पढ़वाना चाहती हूँ लेकिन ...आहिस्ता कुछ और रचनाएं आपके सामने होंगीविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-78008438302093973912009-07-17T20:05:11.945-07:002009-07-17T20:05:11.945-07:00तुम कभी नही जान पाओगे
पानी मैं घुलती
मौसमों मैं ड...तुम कभी नही जान पाओगे <br />पानी मैं घुलती<br />मौसमों मैं डूबती<br />एक सघन सात्विक मौन शाम<br />तुम्हारे ओझल होने तक <br />किस कदर निरंतर पीछे छूटती है...<br /><br />विधु जी पूरी रचना दिल के करीब सी लगी.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-70011650238748030302009-07-17T09:28:02.230-07:002009-07-17T09:28:02.230-07:00बेहद सुन्दर, ह्रदय को झंकृत कर दिया. बधाईयाँबेहद सुन्दर, ह्रदय को झंकृत कर दिया. बधाईयाँPN Subramanianhttp://mallar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-46066633977985329372009-07-17T08:57:33.967-07:002009-07-17T08:57:33.967-07:00इस भावना पूर्ण रचना के लिए ढेरो बढाए ... यथार्थ के...इस भावना पूर्ण रचना के लिए ढेरो बढाए ... यथार्थ के बहोत करीब पाया खुद को ...धरो बधाई<br /><br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-85671473242634027932009-07-17T07:55:03.607-07:002009-07-17T07:55:03.607-07:00कुछ नहीं कहूँगा .....सच कहूँ तो कहने लायक नहीं हूँ...कुछ नहीं कहूँगा .....सच कहूँ तो कहने लायक नहीं हूँ..न मिलते मिलते भी आपने अहसासों को शब्द दे ही दिए...ओर यूँ दिए .....जैसे अहसास धड़क कर दिखा रहे हो ....गुलज़ार साहब की एक नज़्म है .आपकी आँखों से कभी गुजरी होगी....<br /><br />"नज़्म उलझी हुई है सीने में<br />मिसरे अटके हुए हैं होठों पर<br />उड़ते-फिरते हैं तितलियों की तरह<br />लफ़्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नहीं<br />कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम<br />सादे काग़ज़ पे लिखके नाम तेरा<br /><br />बस तेरा नाम ही मुकम्मल है<br />इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी"<br /><br /><br />आपको पढना हमेशा किसी अहसास से गुजरना है.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-78993298241506610152009-07-17T06:46:47.006-07:002009-07-17T06:46:47.006-07:00आपने बिल्कुल सही कहा कभी कभी शब्द कम पड़ जाते हैं.....आपने बिल्कुल सही कहा कभी कभी शब्द कम पड़ जाते हैं...उस एहसास को बयान करने के लिए जो हम महसूस कर रहे होते हैं <br /><br /><a href="http://meraapnajahaan.blogspot.com/2009/07/blog-post_17.html" rel="nofollow">मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति </a>अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5392488104210645802.post-38239405171685654452009-07-17T06:17:32.820-07:002009-07-17T06:17:32.820-07:00तुम कभी नही जान पाओगे /पानी मैं घुलती/मौसमों मैं ड...तुम कभी नही जान पाओगे /पानी मैं घुलती/मौसमों मैं डूबती/एक सघन सात्विक मौन शाम/<br /><br />अच्छी लगीं ये पंक्तियाँ विधु जी।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.com